- नवनिर्मित भव्य श्रीराम मंदिर में 16 जनवरी से शुरू हो जाएगा श्रीविग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व की पूजन
विधि - 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी के अभिजित मुहूर्त में संपन्न होगा श्रीराम लला का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम
- 20 और 21 जनवरी को श्रीराम लला के दर्शन नहीं कर सकेंगे भक्त, 23 से नए मंदिर में आमजनमानस के
लिए खुलेंगे कपाट
अयोध्या, 15 जनवरी। 22 जनवरी को अयोध्या धाम में अपने नव्य भव्य मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा
का कार्यक्रम और पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू हो जाएगी, जबकि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है
उसे 18 जनवरी को गर्भ गृह में अपने आसन पर खड़ा कर दिया जाएगा। 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी
अभिजित मुहुर्त में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न किया
जाएगा। श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में यह बातें सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के
महासचिव चंपत राय ने बताईं। उन्होंने ये भी बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर गर्भ गृह में पीएम नरेंद्र
मोदी, सीएम योगी, आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल,रामजन्मभूमि न्यास
के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सभी ट्रस्टीज उपस्थित रहेंगे।
16 जनवरी से शुरू होगी पूजन विधि
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जानकारी देते हुए चंपत राय ने बताया कि कार्यक्रम से जुड़ी सभी तैयारियां पूर्ण कर
ली गई हैं। प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ होगी। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त वाराणसी के
पुजारी श्रद्धेय गणेश्वर शास्त्री ने निर्धारित किया है। वहीं, प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कर्मकांड की संपूर्ण विधि
वाराणसी के ही लक्ष्मीकांत दीक्षित द्वारा कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू
होकर 21 जनवरी तक चलेगी। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्यूनतम आवश्यक गतिविधियां आयोजित
होंगी। उन्होंने बताया कि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठ होनी है वो पत्थर की है। उसका वजन अनुमानित 150
से 200 किलो के बीच होगा। यह 5 वर्ष के बालक का स्वरूप है, जो खड़ी प्रतिमा के रूप में स्थापित की जानी
है।
श्रीविग्रह की अधिवास के बाद होगी प्राण प्रतिष्ठा
चंपत राय ने बताया कि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होती है उसको अनेक प्रकार से निवास कराया जाता है।
इसे पूजा पद्यति में अधिवास कहते हैं। इसके तहत प्राण प्रतिष्ठा की जाने वाली प्रतिमा का जल में निवास,
अन्न में निवास, फल में निवास, औषधि में निवास, घी में निवास, शैय्या निवास, सुगंध निवास समेत अनेक
प्रकार के निवास कराए जाते हैं। यह बेहद कठिन प्रक्रिया है। जानकारों ने कहा है कि आज के समय के अनुसार
व्यवहार करना चाहिए। यह कठिन प्रक्रिया है। इसलिए धर्माचार्यों के कहे अनुसार ही प्रक्रिया संपन्न की जाएगी।
हर परंपरा, विद्या और मत से जुड़े लोगों को किया गया आमंत्रित
चंपत राय के अनुसार, लगभग 150 से अधिक परंपराओं के संत धर्माचार्य, आदिवासी, गिरिवासी, समुद्रवासी,
जनजातीय परंपराओं के संत महात्मा कार्यक्रम में आमंत्रित हैं। इसके अतिरिक्त भारत में जितने प्रकार की
विधाएं हैं चाहे वो खेल हो, वैज्ञानिक हो, सैनिक हो, प्रशासन हो, पुलिस हो, राजदूत हो, न्यायपालिका हो, लेखक हो,
साहित्यकार हो, कलाकार हो, चित्रकार हो, मूर्तिकार हो, जिस विद्या को भी आप सोच सकते हैं, उसके श्रेष्ठजन
आमंत्रित किए गए हैं। मंदिर के निर्माण से जुड़े 500 से अधिक लोग जिन्हें इंजीनियर ग्रुप का नाम दिया गया
है वो भी इस कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। साधु संतों में सारा भारत, सभी भाषा-भाषी, शैव, वैष्णव,शाक्य, गणपति
उपासक, सिख,बौध, जैन के साथ ही जितने भी दर्शन हैं सभी दर्शन, कबीर, वाल्मीकि, आसाम से शंकर देव की
परंपरा, इस्कॉन, गायत्री, ओडिशा का महिमा समाज, महाराष्ट्र का बारकरी, कर्नाटक का लिंगायत सभी लोग
उपस्थित रहेंगे।
माता सीता के मायके समेत कई स्थानों से आ रही भेंट
उन्होंने बताया कि मानसरोवर, अमरनाथ, गंगोत्री, हरिद्वार, प्रयागराज का संगम, नर्मदा, गोदावरी, नासिक, गोकर्ण,
अनेक स्थानों का जल आया है। तमाम लोग श्रद्धापूर्वक अपने स्थानों का जल और रज ला रहे हैं। हमारे
समाज की सामान्य परंपरा है भेंट देने की, इसलिए दक्षिण नेपाल का वीरगंज जो मिथला से जुड़ा हुआ क्षेत्र है
वहां से एक हजार टोकरों में भेंट आई है। इसमें अन्न हैं, फल हैं, वस्त्र हैं, मेवे हैं, सोना चांदी भी है। इसी तरह
सीतामढ़ी से जुड़े लोग भी आए हैं, जहां सीता माता का जन्म हुआ वहां से भी लोग भेंट लेकर आए हैं। यही
नहीं, राम जी की ननिहाल छत्तीसगढ़ से भी लोग भेंट लाए हैं। एक साधु जोधपुर से अपनी गौशाला से घी लेकर
आए हैं।
20-21 जनवरी को बंद रहेंगे दर्शन
उन्होंने बताया कि 20-21 जनवरी को श्रीराम लला के दर्शन बंद किए जाने पर विचार चल रहा है। भगवान का
दर्शन, पूजन, आरती, भोग, शयन, जागरण पुजारी कराएंगे और अंदर जितने लोग रहते हैं वो उपस्थित रहेंगे। अभी
25 से 30 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन आते हैं वो 20-21 जनवरी को भगवान के दर्शन नहीं कर सकेंगे, ताकि अंदर
की व्यवस्थाओं को सरलता से पूर्ण किया जा सके। 23 से नए विग्रह का दर्शन आम जनमानस के लिए खोल
दिया जाएगा।
मंदिर प्रांगण में 8 हजार लोग जुटेंगे
चंपत राय ने कहा कि हमने मंदिर प्रांगण में 8 हजार कुर्सियां लगाई हैं, जहां विशिष्ट लोग बैठेंगे। देश भर में
22 जनवरी को लोग अपने-अपने मंदिरों में स्वच्छता और भजन, पूजन कीर्तन में हिस्सा लेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के
कार्यक्रम को लाइव देखा जा सकेगा। प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद लोग शंख बजाएं, प्रसाद वितरण करें।
अधिक से अधिक लोगों तक प्रसाद पहुंचना चाहिए। हमारे आयोजन मंदिर केंद्रित होने चाहिए। सांयकाल
सूर्यास्त के बाद घर के बाहरी दरवाजे पर 5 दीपक प्रभु की प्रसन्नता के लिए अवश्य जलाएं।