– मुख्यमंत्री के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कक्ष
निरीक्षकों के लिए जारी की गाइडलाइंस
– गाइडलाइंस में कक्ष निरीक्षकों के चयन से लेकर उत्तरदायित्वों
की दी गई है जानकारी
– प्रत्येक परीक्षा केंद्र पर 50 प्रतिशत कक्ष निरीक्षक बाहरी रखे
जाएंगे
– विषय विशेषज्ञता वाले अध्यापकों की ड्यूटी उसी विषय की
परीक्षाओं में नहीं लगेगी
– पुरुष कक्ष निरीक्षक द्वारा किसी भी बालिका परीक्षार्थी की
तलाशी नहीं ली जाएगी
– परीक्षा के दौरान मोबाइल, कैलकुलेटर या ऐसे किसी अन्य
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग नहीं कर सकेंगे कक्ष परीक्षक
लखनऊ, 28 जनवरी। प्रदेश की योगी सरकार ने अपने
कार्यकाल में बोर्ड परीक्षाओं में नकल पर पूरी तरह से नकेल
कस दी है। फरवरी में शुरू हो रही आगामी बोर्ड परीक्षाओं को
भी नकलविहीन कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को हर जरूरी कदम उठाने के
लिए कहा है। इसी क्रम में माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर
से परीक्षाओं के दौरान कक्ष निरीक्षकों के लिए दिशा-निर्देश
जारी किए गए हैं। इनमें कक्ष निरीक्षकों के चयन से लेकर
उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों और उत्तरदायित्वों का पूरा
लेखा-जोखा दिया गया है। इसमें कहा गया है कि प्रत्येक
परीक्षा केंद्र पर 50 प्रतिशत कक्ष निरीक्षक बाहरी रखे जाएंगे।
साथ ही, जिस दिन जिस विषय की परीक्षा हो, उस सत्र में उस
विषय के अध्यापक की ड्यूटी कक्ष निरीक्षक के रूप में नहीं
लगाई जाएगी। यही नहीं, पुरुष कक्ष निरीक्षक द्वारा किसी भी
बालिका परीक्षार्थी की तलाशी नहीं ली जाएगी और छात्रों की
तरह कक्ष निरीक्षक भी परीक्षा के दौरान मोबाइल, कैलकुलेटर
या ऐसे किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग नहीं कर
सकेंगे।
वरीयता के अनुसार नियुक्त किए जाएंगे कक्ष निरीक्षक
माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ल के
अनुसार प्रत्येक कक्ष में दो कक्ष निरीक्षक लगाए जाएंगे एवं
पांच कक्षों के बीच एक अवमोचक की व्यवस्था रखी जाएगी।
यदि एक कक्ष में 40 से ज्यादा छात्र परीक्षा दे रहे होंगे तो
वहां तीन कक्ष निरीक्षक भी नियुक्त किए जा सकेंगे। केंद्र की
आवश्यक्तानुसार कक्ष निरीक्षक उपलब्ध न होने पर
वरीयताक्रम में पहले माध्यमिक विद्यालय के अध्यापकों को
नियुक्त किया जाए। अंत में प्राथमिक विद्यालयों के
अध्यापकों को कक्ष निरीक्षक के रूप में नियुक्त किया जाए।
जिन परीक्षा केंद्रों पर बालिकाओं की परीक्षा होगी वहां पर
महिला कक्ष निरीक्षकों की नियुक्ति अनिवार्य रूप से की
जाएगी। किसी भी अध्यापक को उसके निहित स्वार्थ के लिए
उनके आवेदन के आधार पर किसी परीक्षा केंद्र विशेष पर
नियुक्त नहीं किया जाएगा।
50 प्रतिशत कक्ष निरीक्षक होंगे बाहरी
परीक्षा केंद्र पर 50 प्रतिशत कक्ष निरीक्षक बाहरी रखे जाएंगे।
इसी तरह ऐसे कक्ष निरीक्षक जिनके परिचित और रिश्तेदार
जिस परीक्षा केंद्र पर परीक्षा दे रहे हैं वो उस केंद्र पर कक्ष
निरीक्षण कार्य के लिए पात्र नहीं होंगे। परीक्षा केंद्रों से संबंधित
विद्यालय के ऐसे अध्यापकों की सूची संबंधित प्राधानाचार्य या
केंद्र व्यवस्थापक द्वारा तैयार कर जिला विद्यालय निरीक्षक
को भेजी जाएगी। यही नहीं, परीक्षाओं की शुचिता बनाए रखने
के लिए निर्णय लिया गया है कि परिषद की हाईस्कूल व
इंटरमीडिएट परीक्षाओं में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि
परीक्षा केंद्रों पर उन विद्यालयों के शिक्षकों को नियुक्त न
किया जाए जिन विद्यालयों के छात्र उस केंद्र पर परीक्षा दे
रहे हों। इसी तरह एक ही प्रबंध तंत्र के अधीन निर्धारित
परीक्षा केंद्रों पर उसी प्रबंध तंत्र से संचालित विद्यालयों के
अध्यापकों को निर्धारित परीक्षा केंद्रों पर कक्ष निरीक्षक की
ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी।
प्रश्नपत्रों की गोपनीयता का रखना होगा ध्यान
कक्ष निरीक्षकों को उनके कार्यों की भी जिम्मेदारी दी गई है।
इसके अनुसार प्रश्नपत्रों की गोपनीयता और सुरक्षा का पूरा
ध्यान देना होगा। साथ ही यह भी देखना होगा कि परीक्षार्थी
किसी भी नकल सामग्री, मोबाइल फोन, कैलकुलेटर या ऐसे
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लेकर परीक्षा कक्ष में प्रवेश ना कर पाएं।
कक्ष निरीक्षक परीक्षा कक्ष में निरीक्षण कर सुनिश्चित करेंगे
कि परीक्षार्थियों को लाभ पहुंचाने वाली कोई पाठ्य सामग्री,
पोस्टर, चार्ट, ब्लैक बोर्ड पर लिखित निर्देश न हो। हाई स्कूल
में पहली बार सभी विषयों में 20 अंकों के वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की
परीक्षा ओएमआर शीट पर आयोजित की जा रही है। कक्ष
निरीक्षकों की जिम्मेदारी होगी कि समय के अंदर परीक्षार्थियों
को उत्तरपुस्तिका के साथ ही ओएमआर शीट उपलब्ध कराएंगे।
परीक्षा के दौरान यदि किसी परीक्षार्थी की तबीयत खराब होती
है तो कक्ष निरीक्षक तत्काल केंद्र व्यवस्थापक को सूचित
करेंगे तथा संबंधित परीक्षार्थी को प्राथमिक उपचार हेतु
नजदीक के अस्पताल में भिजवाने में सहयोग करेंगे।
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25 करोड़ जनआकांक्षा के अनुरूप होगा नया बजट, लोकल्याण
संकल्प पत्र के संकल्प होंगे पूरे: मुख्यमंत्री
जनप्रतिनिधियों के साथ मंडलवार समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री
ने शासन स्तर के अधिकारियों के साथ की बैठक, दिए जरूरी
दिशा-निर्देश
मुख्यमंत्री जी ने की वार्षिक बजट 2022-23 के खर्च की
विभागवार समीक्षा, कहा, जितनी जरूरत उतनी करें डिमांड
सभी विधानसभाओं लगेंगे रोजगार मेले: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री का निर्देश, सही और समय पर बिजली बिल मिलना
सुनिश्चित करें, वसूली के नाम पर उत्पीड़न स्वीकार नहीं
नए शहरों की स्थापना के लिए तेज करें प्रयास, नगरीय
विकास का बनाएं मॉडल:मुख्यमंत्री
अधिकारियों को मुख्यमंत्री का निर्देश, समय पर मिले पेंशन
और छात्रवृत्ति, पुराने राजकीय इंटर कॉलेजों का होगा
जीर्णोद्धार
हर जिले में बनाएं न्यूनतम एक मॉडल बस स्टेशन, नए रूट
पर बसें चलाने की तैयारी करे परिवहन विभाग: मुख्यमंत्री
फील्ड के अधिकारियों को मुख्यमंत्री का निर्देश, जनप्रतिनिधियों
से बनाये रखें संवाद-संपर्क
● मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ जी ने सांसद व विधायकगणों
के साथ प्रदेश के सभी 18 मंडलों में संचालित विकास
परियोजनाओं की गहन समीक्षा के बाद शनिवार को मंत्रीगणों
व
अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव स्तर के अधिकारियों के
साथ बैठक की। विशेष बैठक में मुख्यमंत्री जी ने वर्तमान
वित्तीय बजट में प्राविधानित राशि के उपयोग की विभागवार
समीक्षा की तथा जन अपेक्षाओं के अनुरूप विकास कार्यों को
तेज करने संबंधी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए…
● अगले माह ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और जी-20 के
कार्यक्रमों के उपरांत आगामी वित्तीय वर्ष का बजट आंकलन
प्रस्तुत किया जाना है। सभी विभाग अपनी भावी योजनाओं के
अनुरूप बजट के लिए अपना प्रस्ताव तैयार कर भेजें। आगामी
बजट 25 करोड़ जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप होगा। बजट
प्रस्ताव में लोककल्याण संकल्प पत्र के बिंदुओं का समावेश
करें। यह सुनिश्चित करें कि आपका प्रस्ताव वास्तविक हो।
जितनी आवश्यकता हो, उतनी ही डिमांड करें।
● वित्तीय वर्ष 2022-23 समाप्त होने में अब दो माह ही शेष
हैं।वर्तमान वित्तीय बजट की समाप्ति से पूर्व सभी विभागों
द्वारा वर्तमान बजट में प्राविधानित धनराशि का यथोचित
खर्च किया जाना सुनिश्चित किया जाए। विभाग स्तर भी पर
खर्च की समीक्षा भी जाए। संबंधित मंत्रीगण भी अपने
विभागीय स्थिति की समीक्षा करें।
● वित्त विभाग द्वारा आगामी बजट प्रावधान तय करते समय
वर्तमान वित्तीय वर्ष में विभाग के प्रदर्शन को भी दृष्टिगत
रखा जाए। विभाग की मांग के अनुरूप ही बजट प्राविधान
किया जाए।
● आदरणीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश के समग्र
विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा हमें हर संभव सहायता
मिल रही है। केंद्र से सामंजस्य स्थापित कर अवशेष धनराशि
प्राप्त करें। विभागीय मंत्री स्वयं भारत सरकार के मंत्रीगणों से
संवाद करें। केन्द्रांश के अभाव में परियोजना बाधित न रखें।
नियमानुसार राज्यांश जारी कर कार्य जारी रखा जाए। सभी
विभाग शत-प्रतिशत उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजना सुनिश्चित
करें।
● आवंटन के अनुरूप खर्च में होमगार्ड, ग्राम्य विकास, पंचायती
राज, कृषि, पशुपालन, सहकारिता, लोक निर्माण विभाग, दिव्यांग
जन सशक्तिकरण, एमएसएमई, नगर विकास, वन, व्यावसायिक
शिक्षा को प्रयास तेज करने होंगे। इन विभागों में अनेक
महत्वपूर्ण परियोजनाएं संचालित हो रही हैं, इन्हें प्राथमिकता
के साथ पूरा कराएं।
● गांवों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास में आमजन को
सहभागी बनाने के लिए मातृभूमि योजना प्रारंभ की जा रही
है। बड़ी संख्या में लोगों ने इस योजना से जुड़कर अपने गांव
में अपने पूर्वजों के नाम पर भवन, सड़क, कम्युनिटी सेंटर,
आदि बनवाने की इच्छा जताई है। इस योजना से अधिकाधिक
लोगों को जोड़ने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।
● अंत्योदय के लक्ष्य के अनुरूप हर जरूरतमंद को सामाजिक
सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए राज्य संकल्पित है।
दिव्यांगजन, निराश्रित महिला और वृद्धावस्था पेंशन और
छात्रवृत्ति की धनराशि नियमित अंतराल पर लाभार्थी को प्राप्त
हो। इसमें कतई देरी नहीं होनी चाहिए। पेंशन की यह राशि
लाभार्थी के लिए बड़ा संबल बनती है।
● आगामी दो माह की अवधि में सभी विधानसभा क्षेत्रों में
रोजगार मेलों का आयोजन हो। रोजगार एवं सेवायोजन
विभाग, उद्योग विभाग के साथ मिलकर कार्ययोजना तैयार
करे। इन मेलों के आयोजन के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों
का मार्गदर्शन लें। प्रभारी मंत्रीगण भी इन मेलों में उपस्थित
रहेंगे।
● बिजली बिल के समयबद्ध भुगतान के लिए उपभोक्ताओं
को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके लिए यह जरूरी है
कि लोगों को सही बिल मिले और समय पर मिले।
ओवरबिलिंग, फाल्स बिलिंग अथवा विलंब से बिल दिया जाना
उपभोक्ता को परेशान करती है। इस व्यवस्था में सुधार के
लिए बिलिंग और कलेक्शन एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए ऊर्जा
विभाग को ठोस कार्ययोजना बनानी होगी। ग्रामीण इलाकों में
विशेष प्रयास की जरूरत है। बिजली बिल की वसूली के नाम
पर कहीं भी उत्पीड़न नहीं होना चाहिए।
● प्रदेश में नवीन नगरों की स्थापना का कार्य यथाशीघ्र
प्रारम्भ कर दिया नए। यह नए शहर आधुनिक नगरीय
सुविधाओं का मानक गढ़ने वाले होंगे। अनुपूरक बजट में हमने
₹4,000 करोड़ की राशि इस हेतु प्राविधानित की है। योजना
की महत्ता को देखते हुए इसे शीघ्र क्रियान्वित किया जाए।
● जनप्रतिनिधियों से संवाद के दौरान नए बस स्टेशनों की
स्थापना की आवश्यकता प्राप्त हुई है। 23 नए सर्वसुविधायुक्त
बस स्टेशन बनाने के हमारे प्रयास का अच्छा रिस्पॉन्स मिला
है। इसे तेजी से आगे बढ़ाया जाए। हमें नए रूट पर बसें
चलानी हैं। इस संबंध में विभाग स्तर से योजनाबद्ध ढंग से
कार्य किया जाए। हर जिले में पीपीपी मॉडल पर कम से कम
एक आधुनिक मॉडल बस स्टेशन विकसित किया जाए।
परिवहन विभाग की अधूरी परियोजनाओं को पूरा कराने के
लिए शासन स्तर से हर संभव सहायता दी जाएगी।
● निर्माण संबंधी विकास कार्यों में कार्यदायी संस्थाओं की बड़ी
भूमिका होती है। मुख्य सचिव द्वारा सभी शासकीय कार्यदायी
संस्थाओं में मैनपॉवर की उपलब्धता, दक्षता, क्षमता आदि की
परीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
● आकांक्षात्मक विकास खंडों पर सभी विभागों को ध्यान देना
होगा। इन जिलों में युवाओं को रोजगारोन्मुखी शिक्षा देने के
लिए आईटीआई/पॉलिटेक्निक/कौशल विकास केंद्र की स्थापना
की योजना तैयार करें।
● जिन नए इंटर कॉलेजों/महाविद्यालयों का भवन निर्माण पूरा
हो गया है और उन्हें हैंडओवर कर दिया गया है, उन्हें यथाशीघ्र
क्रियाशील किया जाए। महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम तय करते
समय न्यू एज़ कोर्सेज को वरीयता दी जाए। यह सुनिश्चित
कराएं की कहीं स्टाफ की कमी न हो।
● 50-60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके राजकीय इंटर कॉलेजों के
भवनों का जीर्णोद्धार किया जाना आवश्यक है। अब जर्जर हो
चुके इन परिसरों ने देश को अनेक रत्न दिए हैं। इनके पुराने
जर्जर भवनों को ध्वस्त कराकर नवीन भवन निर्माण के लिए
बेहतर कार्ययोजना तैयार की जाए।
● दिव्यांगजनों को रोजगार से जोड़ने के लिए उनके कौशल
विकास पर जोर दिया जाना चाहिए। इन्हें मोटराइज़्ड ट्राई
साइकिल दिया जाए।
● हरिहरपुर (आजमगढ़) में संगीत महाविद्यालय की स्थापना
का कार्य समय से प्रारंभ कर दिया जाए। इसके लिए पर्याप्त
धनराशि प्राविधानित है। इस कार्य में देर न हो।
● निराश्रित गोवंश संरक्षण को और बेहतर करने की
आवश्यकता है। इस संबंध में राज्य सरकार के स्तर पर
निराश्रित गो-आश्रय स्थल निर्माण, सहभागिता योजना तथा
कुपोषित परिवारों को गाय उपलब्ध कराने की तीन योजनाएं
चल रही हैं। इन योजनाओं का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
संभ्रांत परिवारों को भी गो-पालन के प्रति प्रेरित किया जाना
चाहिए।
● समस्त मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर/कप्तान,
मुख्य विकास अधिकारी आदि फील्ड में तैनात सभी अधिकारी
गण स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सतत संवाद-संपर्क बनाए
रखें। माह में एक बार जनप्रतिनिधियों के साथ विकास
परियोजनाओं की समीक्षा करें। इसी प्रकार जिला मॉनीटरिंग
कमेटी की बैठक भी हो।
● उद्योग बंधु की बैठक नियमित होनी चाहिए। प्रत्येक
जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान, व्यापार व उद्योग विभाग द्वारा
माह में एक बार व्यापारिक संगठनों के साथ अनिवार्य रूप से
बैठक की जाए। ज्यादातर समस्याओं का हल स्थानीय से ही
निकल सकता है। जो मामले स्थानीय स्तर पर हल न हो
सकें, उन्हें शासन को संदर्भित करें। इस दिशा में सकारात्मक
सोच के साथ कोशिश की जाए।
● सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। अपराधों
की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए
अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की व्यवस्था है। वर्तमान
में जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज
संचालित करती हैं।एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में
अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों
को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक
व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों
के लिए एकीकृत कोर्ट भवन बनाये जाने की योजना को शीघ्र
क्रियान्वित करें।