राज्य में जल्दी ही गठित होगा इको-रूरल टूरिज्म बोर्ड
रूरल टूरिज्म के जरिए इसके दायरे को बढ़ाएगी योगी सरकार
लखनऊ, 27 अप्रैल :-
प्राकृतिक खूबसूरती हर किसीको लुभाती है। घने जंगल। इनके बीच से कल-कल करती नदी का बहता हुआ
निर्मल जल। ऊंचे-ऊंचे पहाड़। पहाड़ों और घने जंगलों की नीरवता को तोड़ते झर-झर बहते झरने। कलरव
करते पक्षी। इनके आस-पास की जैवविविधता इस आकर्षण को और बढ़ाती है। यही वजह है कि देश-दुनिया
की ऐसी तमाम जगहें पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र होती हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर कहते हैं कि प्रकृति की उत्तर प्रदेश पर असीम अनुकंपा है। अभी
पिछले दिनों मंत्रिमंडल के समक्ष नगर विकास सेक्टर से संबंधित विभागों के प्रस्तुतिकरण के दौरान अपनी
इस बात को दुहराते हुए उन्होंने कहा था कि इन संभावनाओं को आकार देने के लिए इकोटूरिसम बोर्ड का
गठन किया जाए। हेरिटेज वृक्षों के संरक्षण के साथ लखनऊ स्थित कुककरैल पिकनिक स्पॉट को और
बेहतर बनाया जाए। यहां इको टूरिज़्म की ढ़ेर सारी संभावनाएं हैं। यही वजह है कि अपने पहले कार्यकाल से
ही उनकी मंशा रही है कि उत्तर प्रदेश को इकोटूरिजम के लिहाज से देश का पसंदीदा स्थल बनाने की रही है।
इसके तहत अब प्रदेश के 9 तरह की एग्रो क्लाइमेटिक जोन (कृषि जलवायु क्षेत्र) के मद्देनजर विलेज टूरिज्म
को जोड़कर इसके दायरे को विस्तार दिया जाएगा।
जैविक विविधता के लिहाज से संपन्न
उत्त्तर प्रदेश की तराई का क्षेत्र तो जैविक विविधता के लिहाज से बेहद संपन्न है। यहां के घने जंगल उनमें
उपलब्ध भरपूर जलस्रोतों की वजह से बाघ, हाथी, हिरण, मगरमच्छ, डॉल्फ़िन और लुप्तप्राय हो रही पक्षियों
की कई प्रजातियों का स्वाभाविक ठिकाना है। दुधवा, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और कतरनिया घाट के
जंगल जैविक विविधता के भंडार हैं। हर वर्ष बड़ी संख्या में देश विदेश के पर्यटक इस जैविक विविधता को
देखने के लिए आते हैं। पर्यटकों की पसंद के क्षेत्रों में बहराइच जिले में स्थित कतर्निया घाट आदि प्रमुख हैं।
इसी तरह मानव जीवन के शुरुआत का इतिहास संजोए सोनभद्र का फॉसिल (जीवाश्म) पार्क। यहां के 150
करोड़ वर्ष पुराने जिवाश्म(फासिल्स) दुनिया के लिए शोध का विषय हैं।लगभग 25 हेक्टेयर में फैला ये
फासिल्स पार्क अमेरिका के यलो स्टोन पार्क से भी बड़ा है। इसी नाते इसका शुमार दुनिया के सबसे बड़े
फॉसिल्स पार्क में होता है।
इसके अलावा बखिरा सैंक्चुरी, चंद्रप्रभा वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी, हस्तिनापुर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, कैमूर
सैंक्चुरी, किसनपुर वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी,महाबीर स्वामी सैंक्चुरी, नेशनल चंबल वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी,
पार्वती आगरा बर्ड सैंक्चुरी,रानीपुर सैंक्चुरी, सोहगीबरवा सैंक्चुरी, विजय सागर सैंक्चुरी, सुरहा ताल सैंक्चुरी,
सुहेलदेव सैंक्चुरी आदि जगहों पर भी प्राकृतिक पर्यटन की भारी संभावनाएं हैं। टूरिज़म पॉलिसी 2018 में इन
सबका उल्लेख भी है। पर्यावरण के लिहाज से बेहद समृद्ध इन सभी जगहों के विकास के लिए योगी
आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में आई नयी पर्यटन नीति-2018 में जिन 12 परिपथों का जिक्र था, उसमें
वाइल्डलाइफ एंड इकोटूरिज्म परिपथ भी एक था। इस परिपथ में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए
शुरू कार्यों का सिलसिला योगी-02 में भी जारी रहेगा। ये स्थान लोंगों का ध्यान खींचे इसके लिए इनके
प्रचार-प्रसार भी पूरा जोर होगा। इस क्रम में जैवविविधता दिवस 22 मई को पर्यावरण, वन एवं जलवायु
परिवर्तन विभाग राज्य स्तरीय गोष्ठी का आयोजन करेगा। अगले छह महीने में राधा-कृष्ण, कृष्ण और ग्वाल-
बालों की याद दिलाने वाले सौभरी वन का भी लोकार्पण होगा। ग्रामीण पर्यटन को विकसित करने के लिए
पहले चरण में 75 गांव मॉडल के रूप में चुने जाएंगे। कन्वर्जेंस के जरिए इनको विकसित किया जाएगा।
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मुकेश मेश्राम-प्रमुख सचिव पर्यटन
समग्रता में प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र के नियोजित विकास के लिए 2018 में जो टूरिज़्म पालिसी बनी थी उसमें
इकोटूरिज्म सर्किट में उक्त सभी स्थानों का जिक्र है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार इन
सभी जगहों पर पर्यटकों की सुविधा के लिहाज से बुनियादी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। साथ ही
इनकी ब्रांडिंग भी, ताकि अधिक से अधिक संख्या में पर्यटक यहां आएं। प्रकृति का आनंद लें।