रायबरेली का सौभाग्य ही कहा जाएगा कि रायबरेली में ऐसे संत जिनके दर्शन मात्र से पुण्य प्राप्त होता है और कल्याण होता है, जिनका उद्देश्य भी बहुत पावन और साफ है। धर्मचक्रवर्ती तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु जी का अपनी 72 वर्ष की आयु में अपने बड़े संकल्प के अनुसार उसे सार्थक करने के लिए इतना शर्म करते हैं, जो सामान्य और युवा आयु वर्ग के लोगों की क्षमता और कल्पना से परे है। श्रद्धेय गुरु जी चाहे राम जन्म भूमि के विषय में न्यायालय में शास्त्रों के प्रमाण के साथ विषय रखना हो अथवा विधर्मियो को शास्त्रों पर खुली चुनौती देना हो, वह निरंतर तैयार रहते हैं।श्रद्धेय गुरुजी चित्रकूट में दिव्यांग विश्वविद्यालय संचालित करते हैं, इस विश्वविद्यालय में देशभर का कोई भी दिव्यांग प्रवेश ले सकता है और प्रवेश के उपरांत शिक्षा के साथ-साथ आवास, भोजन,वस्त्र इत्यादि फ्री में राघव परिवार उन बच्चों को उपलब्ध कराता है और इस सब का संचालन गुरु जी अपने स्वयं के बदले मिली दक्षिणा से करते हैं। आप कल्पना करें कि एक दिव्यांग व्यक्ति के संकल्प के भाव कितने पुनीत हैं, आखिर ऐसे ही कोई जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी नहीं बन जाता। जहां एक और रायबरेली में पंचवटी परिसर में उनके दर्शन के लिए संपूर्ण उत्तर प्रदेश से राजनीतिज्ञ, आईएएस आईपीएस,बड़े बड़े पूंजीपति के साथ सामान्य परिवार के धर्मानुरागी गुरुजी के प्रति आस्था रखने वाले लोगों की देर रात तक भीड़ लगी रहती है, वहीं दूसरी ओर मां गौरा पार्वती मेला प्रांगण में दिनोंदिन दिव्य श्री राम कथा में धर्मानुरागियों का उमड़ा जनसैलाब श्रद्धेय गुरु जी की विद्वता का प्रतीक है। पंचवटी परिवार ने श्री राम कथा के आयोजन में ऐसी व्यवस्था की है जो रायबरेली के इतिहास में इससे पूर्व कभी नहीं हुई। रायबरेली वासियों ने भी पंचवटी परिवार के आवाहन पर इतना सहयोग किया कि पंचवटी परिवार रायबरेली वासियों की उपस्थिति से गदगद है। श्री राम कथा में संपूर्ण जनपद से प्रतिदिन लगभग 10 हजार से अधिक श्रोता गण प्रत्यक्ष व अन्य माध्यमों जैसे लाइव प्रसारण शुभ टीवी, संस्कार चैनल, यूट्यूब व फेसबुक लाइव के माध्यम से लाखों लोग दिव्य राम कथा का रसपान कर रहे हैं जबकि कथा के विराम में अभी 3 दिन अवशेष है जिसमें भारी संख्या में लोगों के पहुंचने की संभावना से पंचवटी परिवार द्वारा व्यवस्थाओं का विस्तार किया जा रहा है।