रायबरेली: सतांव विकासखंड के मां गौरा पार्वती मेला प्रांगण में आयोजित दिव्य श्री राम कथा के पांचवे दिन जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने भगवान श्री राम के हनुमान प्रेम का व्याख्यान करते हुए भजन के द्वारा संपूर्ण वातावरण को राममय कर दिया।उन्होंने भजन “गिरिधर नाचे और नाचे सब गईया,नाचे हनुमान जी नचावे रघुरैया” से श्री रामकथा की शुरुवात की। जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य ने कहा कि श्री राम कथा का आनंद तभी है जब वक्ता और श्रोता दोनों सुर लय ताल मिलाकर कथा का रसपान करें। दिव्य श्री रामकथा के आयोजन में प्रेम की ही वार्ता होगी, प्रेम प्रकट हो जाए तो परमात्मा खुद प्रकट हो जाएंगे प्रेम के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है। रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई चौपाई के माध्यम से बताया कि प्रभु श्री राम स्वयं सत्य के कब्जे में हैं। स्वामी रामभद्राचार्य ने प्रसंग को विस्तारित करते हुए कहा कि विषयी लोग सदैव सत्य के कब्जे में रहते हैं। वे सदैव झूठ ही बोलते हैं उन पर असत्य हावी हो जाता है। साधक सत्य और असत्य दोनों के वश में होते हैं। इसलिए जब साधक पर सत्य हावी रहता है, तब तक तो ठीक है परंतु असत्य हावी होते ही उसे समस्या होती है। वह ना चाहते हुए भी असत्य बोलने लगता है। जगतगुरु ने राजनीति व धन के बारे में बताया कि नीति के बिना कभी राज नहीं चलता है और धर्म के बिना कभी धन नहीं टिकता। इस अवसर पर संगीतमय कथा में हजारों महिला पुरुष धर्मानुरागीगण मौजूद रहे।