रायबरेली की लाइफ लाइन मानी जाने वाली आईटीआई अब अपने अस्तित्व के संकट से ही जूझ रही है. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा लोकसभा में पूछे गए सवाल से आईटीआई का कड़वा सच सामने आया है. हर साल हजारों करोड़ रुपए के टर्नओवर वाली इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज की रायबरेली इकाई इस वित्त वर्ष में केवल 20 करोड़ रुपए का ही व्यापार कर पाई है. 51 साल पहले सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापित हुई इस फैक्ट्री में अब तीन प्रतिशत ही स्थाई कर्मचारी बचे हैं. फैक्ट्री को केंद्र सरकार से न पर्याप्त आर्डर मिल रहे हैं और न रिवाइवल पैकेज ही मिल रहा है.
आईटीआई की रायबरेली इकाई को वित्तीय सहायता के 300 करोड़ रुपए मिलने का आज भी इंतजार है. आईटीआई की इस बदहाली का खुलासा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा लोकसभा में पूछे गए सवाल पर सरकार द्वारा दिए गए जवाब से हुआ है. एक समय इस फैक्ट्री में 7000 स्थाई कर्मचारी हुआ करते थे.
सांसद राहुल गांधी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया है कि आईटीआई की रायबरेली इकाई में वर्तमान में 322 कर्मचारी ही कार्यरत है. इसमें 173 स्थाई, 68 संविदा कर्मी और 83 अनौपचारिक कर्मचारी काम कर रहे हैं.