पूसा नवरंग है सबसे जूसी अंगूर की प्रजाति
रस से भरपूर होने के नाते जूस, जैम, जेली के लिए भी उपयुक्त
लखनऊ, 5 सितम्बर। अगर उत्तर प्रदेश में खाने के मेज के लिए अंगूर की सबसे अच्छी प्रजाति "फ्लेम सीडलेस"
है तो रस से भरपूर होने के कारण पूसा नवरंग भी जूस, जैम और जेली के लिए खुद में बेमिसाल है। केंद्रीय
उपोष्ण बागवानी संस्थान के पूर्व निदेशक सीएस राजन के मुताबिक पूसा नवरंग में जूस उत्पादन की उत्कृष्ट
क्षमता है। यह प्रजाति उत्तर प्रदेश खासकर जिन क्षेत्रों की कृषि जलवायु क्षेत्र लखनऊ के समान है, उन क्षेत्रों में
उत्पादन के लिए अनुकूल है। इसका अद्वितीय रस प्रोफ़ाइल इसे क्षेत्र के लिए फ्लेम सीडलेस के बाद दूसरी
सबसे उपयुक्त किस्म बनाती है।
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिकों ने वर्षों तक अंगूर की कई प्रजातियों पर शोध के बाद पाया कि
अंगूर की इन दोनों किस्मों फ्लेम सीडलेस और पूसा नवरंग की उत्तर भारत में अच्छी खासी व्यावसायिक
संभावनाएं हैं। इन प्रजातियों की पहचान कर वैज्ञानिकों ने उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत में अंगूर की खेती के
लिए नए दरवाजे खोले हैं।
किसानों के लिए संभावनाओं का नया द्वार है अंगूर की खेती
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक सुशील कुमार शुक्ला के ।उताबिक उक्त दोनों प्रजातियां न केवल स्थानीय
परिस्थितियों के लिए उपयुक्त हैं, बल्कि बाजार की मांगों को भी पूरा करती हैं। ये प्रजातियां उत्तर भारत के
किसानों के लिए योगी सरकार की मंशा के अनुसार फसल विविधिकरण का एक बेहतरीन विकल्प प्रस्तुत करती
हैं। इसके साथ किसान छाए में होने वाली सब्जियों और मसालों की खेती कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
किसानों की आय बढ़े वे खुशहाल हों, यह योगी सरकार की सिर्फ मंशा ही नहीं संकल्प भी है।
संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. राम कुमार बताते हैं कि अंगूर की खेती में पूसा नवरंग की सफलता जूस बनाने के
लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि इसका स्वाद और उपज इसे पारंपरिक फसलों के लिए एक उत्कृष्ट
विकल्प बनाता है। स्थानीय परिस्थितियों में इसकी अनुकूलता के कारण यह प्रजाति किसानों के लिए एक
मूल्यवान विकल्प है। अंगूर और इसके प्रसंस्कृत उत्पादों के लिए पूसा नवरंग प्रजाति का चयन बागवानों की
आय बढ़ाने में बेहतरीन निर्णय होगा।