"वोकल फ़ॉर लोकल" के लिए मजबूत बुनियाद बनी योजना
पांच साल में करीब दो लाख लोगों को मिला प्रशिक्षण
बजट में भी इसके लिए 112.50 करोड़ रुपये का प्रावधान
लखनऊ, 6 अगस्त
पांच साल पहले शुरू "विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना" परंपरागत पेशे से
जुड़े स्थानीय दस्तकारों और कारीगरों के लिए संजीवनी बन गई है। साथ ही
लोकल फ़ॉर वोकल और आत्मनिर्भर भारत की मजबूत बुनियाद बन रही है।
योजना के तहत अब तक करीब 2 लाख श्रमिकों को प्रशिक्षण देकर उनका हुनर
को निखारा गया। यह निखरा हुनर उनके काम में भी दिखे। उनके द्वारा तैयार
उत्पाद कीमत एवं गुणवत्ता में बाजार में प्रतिस्पर्धी हों इसके लिए प्रशिक्षण पाने
वाले 144212 कारीगरों को उनकी जरूरत के अनुसार निःशुल्क उन्नत टूल
किट भी दिये गए।
पांच साल में 5 लाख लोगों को मिलेगा प्रशिक्षण
अगले पांच साल में इस योजना के तहत 5 लाख लोगों को प्रशिक्षित कर
उनका हुनर निखारने एवं उनको टूलकिट देने का लक्ष्य रखा गया है। जरूरत के
अनुसार इनको बैंक से भी जोड़ा जाएगा। बजट में भी इसके लिए 112.50 करोड़
रुपये का प्रावधान किया गया है।
बढ़ई, दर्जी, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई, मोची, राजमिस्त्री योजना के
केंद्र में
उल्लेखनीय है कि परंपरागत पेशे से जुड़े लोगों के हित के मद्देनजर उत्तर
प्रदेश सरकार ने 2017 में इस योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के केंद्र में
बढ़ई, दर्जी, टोकरी बुनने वाले, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई, मोची,
राजमिस्त्री एवं हस्तशिल्पी आदि थे। खुद में यह बड़ा वर्ग है। इस वर्ग के लोग कई
पुश्तों से स्थानीय स्तर पर अपने परंपरागत पेशे से जुड़े थे। समय के अनुसार यह
खुद को बदलें। इस बदलाव के लिए उनको प्रशिक्षण मिले और काम बढ़ाने के
लिए जरूरी पूंजी मिले इस ओर किसी सरकार का ध्यान नहीं गया। आजादी के
बाद पहली बार योगी सरकार इनके श्रम के सम्मान, हुनर को निखारने एवं पूंजी
संबंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान के नाम से एक
नई योजना लेकर आई। आजीविका के साधनों का सुदृढीकरण करते हुए उनके
जीवन स्तर को उन्नत किया जाता है ।
योजनान्तर्गत चिन्हित परम्परागत कारीगरों / हस्तशिल्पियों का हुनर
निखारने के लिए उनको हफ्ते भर का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षण के
उपरान्त सभी प्रशिक्षित कारीगरों / हस्तशिल्पियों को उनकी जरूरत के अनुसार
नि:शुल्क उन्नत टूलकिट्स उपलब्ध कराए जाते हैं।
प्रशिक्षित कारीगरों को अपना कारोबार बढ़ाने या इसे और बेहतर बनाने
में पूंजी की कमीं बाधक न बने इसके लिए इनको प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से
लिंक करते हुए बैंकों के माध्यम से ऋण भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
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सबका साथ, सबका विकास के तहत इस बड़े वर्ग की बेहतरी के लिए ऐसी
इन्नोवेटिव योजना जरूरी एवं सामयिक थी। इस योजना के जरिए सरकार
परंपरागत पेशे से जुड़े लोगों का जीवन स्तर सुधार के साथ इनकी सेवाओं को
भी आधुनिक बनाया जा रहा है।