रायबरेली: माता-पिता हमेशा बच्चों को आगे बढ़ने की सलाह देते हैं। सामान्य परिवार के बीच सबसे बच्चों के बेहतर भविष्य की कामना की जाती है। लेकिन, बच्चे जब अभिभावकों की उम्मीद पर खड़े नहीं उतर पाते तो उनके बीच अपनी कमियों को छुपाने के लिए झूठ बोलने की शुरुआत होती है। बचपन की बात अलग है। लेकिन, इस झूठ को जीवन में अपना लिया जाए तो कितना घातक हो सकता है, इसका उदाहरण उत्तर प्रदेश के रायबरेली की रहने वाली ज्योति मिश्रा हैं। ज्योति मिश्रा की कहानी बचपन में की गई एक नासमझी जितनी आसान नहीं है। ज्योति ने कानून और अभिभावकों की भावनाओं की परवाह किए बिना ऐसा झूठ बोला जो आज उसके गले की फांस बन गया है। ज्योति ने सभी लोगों और अपने माता-पिता को दो साल तक यह यकीन दिलाया कि वह स्पेन के मैड्रिड में भारतीय दूतावास में तैनात एक आईएफएस अधिकारी है। हालांकि, यूपीएससी क्लीयर करने की अफवाह फैलाने वाली ज्योति की पूरी कहानी सामने आ गई है।यूपी के रायबरेली में ज्योजि मिश्रा की पहचान होनहार लड़की थी। उसने अपनी कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 96 फीसदी अंक हासिल किए थे। दिल्ली विश्वविद्यालय से अच्छे अंकों के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उसके पुलिसकर्मी पिता और गृहिणी मां इस पर बहुत गर्व कर सकते थे। लेकिन, ज्योति ने अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा सफलता हासिल करने की सोची। उसने अपनी सफलता के लिए फर्जी यूपीएससी सर्टिफिकेट, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी का फर्जी आईडी कार्ड, विदेश सेवा में नियुक्ति के लिए फर्जी गृह मंत्रालय का पत्र और संदिग्ध राजनयिक पासपोर्ट बनवाया। ज्योति ने जाहिर तौर पर इस तथ्य का फायदा उठाया कि अनुसूचित जाति वर्ग में एक नामचीन व्यक्ति ने 2021 यूपीएससी परीक्षा में 432वीं रैंक हासिल करके आईएएस में जगह बनाई है। उनके पिता सब-इंस्पेक्टर सुरेश नारायण मिश्रा की ओर से साझा की गई सिविल सेवा परीक्षा 2021 आवंटन सूची की एक छेड़छाड़ की गई पीडीएफ में ज्योति मिश्रा को रोल नंबर 5904317 के साथ 432 वें स्थान पर दिखाया गया है। हकीकत यह है कि आरक्षित एससी श्रेणी से आने वाली ज्योति रोल नंबर 843910 के साथ इस रैंक पर है।