मासूम बच्चों की मौत से परिजन सदमे में, मोहल्ले में छाया मातम
परशदेपुर, रायबरेली, कस्बे में हुई हृदय विदारक घटना में घर के पीछे खड़ी सफारी कार के अंदर बंद हो जाने से दो मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। बच्चों की मौत से मोहल्ले में मातम छा गया है। परिजनों ने पुलिस को सूचना ना देकर बच्चों को दफना दिया है।
अमेठी जिले के जायस कोतवाली निवासी चांद की पत्नी चांदनी अपने चार वर्षीय पुत्र अब्दुल्ला को लेकर
परशदेपुर कस्बे के वार्ड नंबर 07 के कजियाना मोहल्ला निवासी मो. राशिद के घर अपने मायके आई थी। राशिद का 06 वर्षीय पुत्र कौनेन व चांदनी का चार वर्षीय पुत्र अब्दुल्ला दोनों साथ में खेल रहे थे। खेलते हुए दोनों मासूम बच्चे घर के पीछे खड़ी सफारी कार में जाकर बैठ गए। बताते हैं कार अचानक लॉक होने से दोनों बच्चे उसके अंदर ही फंस गए। परिजनों को काफी देर तक बच्चे नहीं दिखे तो परिजन बच्चों की खोज करने लगे। बच्चों को ढूंढते हुए घर के पीछे गए तो देखा कार के अंदर की लाइट जल रही थी। परिजनों ने जैसे ही गाड़ी का गेट खोला तो अंदर का मंजर देख होश उड़ गए। बताते हैं कि कार के अंदर ही अब्दुल्ला की सांसे थम गई थी। कौनेन की सांसें चल रही थी और वो पसीने से लथपथ था। परिजन तुरंत सलोन के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गए जहाँ चिकित्सक ने हालत गम्भीर देख जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिला अस्पताल में हालत में कोई सुधार ना होने पर चिकित्सकों ने लखनऊ रिफर कर दिया गया। बताते हैं कि लखनऊ ले जाते समय रास्ते मे ही कौनेन ने भी दम तोड़ दिया। परिजन दोनों बच्चों को परशदेपुर वापस लाए और गमगीन माहौल में बच्चों को दफना दिया। चौकी प्रभारी मोहित कुमार ने बताया कि परिजनों ने घटना की कोई सूचना नहीं दी है।
मासूमों की मौत से मोहल्ले में छाया मातम
दोनों मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत से पूरे मोहल्ले में मातम छा गया। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। मासूम बेटे की मौत के बाद पिता मो. रासिद व माँ कैसरून बानो सहम से गए हैं। उनकी आँखों से आँसू बह रहे हैं। मासूम अब्दुल्ला की माँ चांदनी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है। मुहल्ले के लोग परिजनों को ढांढस बंधाने में लगे रहे।
इकलौते बच्चे की मौत से नहीं थम रहे मां के आंसू
जायस निवासी चांद सऊदी अरब में रहते हैं। उनका चार वर्षीय इकलौता पुत्र अब्दुल्ला अपनी मां चांदनी के साथ जायस में ही रहता है। रविवार को चांदनी अपने बच्चे को लेकर अपने मायके परशदेपुर आई थी। उसे नहीं पता था मौत उसके मासूम बच्चे को परशदेपुर खींच लाई है। इकलौते बच्चे की मौत से चांदनी के आंसू नहीं थम रहे हैं।