-कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने मुख्यमंत्री के समक्ष रखा
प्रस्ताव
-एक साल से अधिक समय से पेशी न होने वाले बंदियों को मिल
सकती है राहत
-स्थानांतरण और दोष सिद्ध होने के चलते 200 से ज्यादा बंदियों की
नहीं हो रही पेशी
-लखनऊ, मेरठ और आगरा जेलों में बंद हैं इस तरह के सबसे ज्यादा
बंदी
लखनऊ, 9 मार्च। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जेलों में बंद ऐसे
बंदियों के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ट्रायल शुरू कराने की तैयारी कर रही
है, जिनकी एक साल से अधिक समय से न्यायालय के समक्ष पेशी
नहीं हुई है। मुख्य सचिव के समक्ष कारागार प्रशासन एवं सुधार
विभाग की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव दिया गया है। इस प्रस्ताव
पर मुख्यमंत्री की मुहर लगने के बाद इसे अमल में लाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की कारागारों में ऐसे कई बंदी हैं जिन्हें
स्थानांतरण, दोष सिद्ध होने के चलते न्यायालय द्वारा पेशी के लिए
नहीं बुलाया जा रहा है। ऐसे में विभाग ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के
माध्यम से इनके ट्रायल चलाए जाने की सिफारिश की है।
नहीं हो पा रही 232 बंदियों की पेशी
विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार कुल 232 ऐसे बंदी प्रदेश की
विभिन्न जेलों में बंद हैं जिनकी एक साल या इससे अधिक समय से
न्यायालय में पेशी नहीं हुई है। इनमें अयोध्या परिक्षेत्र के 16 बंदी,
लखनऊ के 55, कानपुर के 8, वाराणसी के 10, प्रयागराज के 5, मेरठ के
41, गोरखपुर के 24, बरेली के 28 और आगरा परिक्षेत्र के 45 बंदी
शामिल हैं। विभाग के द्वारा कहा गया है कि इन बंदियों को एक
जेल से दूसरी जेल में स्थानांतरण होने, दोष सिद्ध होने के चलते
मान्यनीय न्यायालय ने पेशी के लिए बीते एक वर्ष से अधिक समय
से नहीं बुलाया है। ऐसे में इनके मामलों की सुनवाई रुकी हुई है। ऐसे
में सरकार की पहल पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ट्रायल के
जरिए इनके रुके मामलों की सुनवाई फिर से शुरू की जा सकती है।
थानों से मिल सकती है जमानत
इसके अतिरिक्त कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग की ओर से
कारागार में निरुद्ध ऐसे बंदियों जिन्हें न्यायालय से 3 माह से 7 वर्ष
तक की सजा सुनाई है की जमानत थानों से दिए जाने की भी
सिफारिश की है। इस संबंध में भी प्रस्ताव को मुख्यमंत्री की मंजूरी
मिलने के बाद अमल में लाया जा सकता है। प्रदेश की जेलों में 2371
ऐसे बंदी हैं जिन्हें न्यायालय से 3 वर्ष से 7 वर्ष तक की सजा सुनाई
गई है। विभाग चाहता है कि इन बंदियों की जमानत के लिए
न्यायालय का समय नष्ट न किया जाए और तय मानकों के अनुरूप
इन्हें संबंधित थानों के माध्यम से ही जमानत की प्रक्रिया पूर्ण कर
ली जाए। ऐसे बंदियों की सबसे ज्यादा संख्या मथुरा की जेल में है
जहां 395 बंदी जमानत का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा
गाजियाबाद की जेल में 235 बंदी, अलीगढ़ जेल में 213 बंदी, नैनी-
प्रयागराज की जेल में 160 बंदी और मुजफ्फरनगर की जेल में 107
बंदी जमानत के लिए इंतजार कर रहे हैं।