सरकार हर स्तर पर करेगी सहयोग
जैविक खेती से लागत घटेगी, गोसंरक्षण भी होगा
जहरीले रसायनों से भी मिलेगी मुक्ति
मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ ने कहा कि प्राकृतिक खेती, कम लागत में अच्छा उत्पादन और विष
मुक्त खेती का अच्छा माध्यम है। इसके प्रोत्साहन के लिए इस अभियान से वैज्ञानिक जुड़ेंगे तो न
केवल किसानों की आमदनी को कई गुना बढाने में हमें सहायता मिलेगी। आप सबकी मदद से हम
उत्तर प्रदेश को जैविक प्रदेश बनाएंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ आज लखनऊ में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के 33वें स्थापना
दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का वर्चुअली शुभारंभ किया। इसमें देशभर के वैज्ञानकिों ने हिस्सा लिया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती जन, जमीन और जल के लिए सुरक्षित होने की वजह से
इकोफ़्रेंडली है। ऐसी खेती गोसंरक्षण में भी मददगार है। इस अभियान से वैज्ञानिकों के जुड़ने से
अन्नदाता को बहुत लाभ होगा। इससे उनकी आमदनी में इजाफा होगा साथ ही तमाम प्रकार के
रोगों से मुक्ति से भी मुक्ति मिलेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सभी मण्डल मुख्यालयों पर टेस्टिंग लैब स्थापित करा रही है। यहां
बीज और उत्पाद के सर्टिफिकेशन की सुविधा होगी। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करते हुए इस
प्रकार हम अपने प्रदेश को जैविक प्रदेश के रूप में विकसित करने में सफल होंगे।
योगी ने कहा कि अन्नदाता किसानों के हित को देखते हुए ही हमारी सरकार ने वर्ष 2017 में फसल
ऋण माफी के एक बड़े कार्यक्रम को आगे बढाया था। वहीं, आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने
हमारे किसानों को उनकी फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य एमएसपी प्राप्त हो, इसके लिए 2018
में उन्होंने जो एमएसपी की घोषणा की, उसका लाभ आज उत्तर प्रदेश के किसान सफलतापूर्वक
प्राप्त कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रिकॉर्ड उत्पादन और किसानों से
सीधे क्रय करने की व्यवस्था आज उत्तर प्रदेश में उपलब्ध है। लेकिन विगत 05 वर्ष के अंदर
वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से कृषि विविधीकरण को जिस प्रकार आगे बढ़ाया गया, उसमें
उपकार जैसी संस्थाओं के माध्यम से नई तकनीक, उन्नतशील बीज, 04 कृषि विश्वविद्यालयों, 89
कृषि विज्ञान केंद्रों ने जिस प्रकार जमीनी धरातल पर उतारने में सहयोग किया है, उससे अन्नदाता
किसानों की आय को बढ़ाने में महत्वपूर्ण सहयोग मिला है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में बीते 05 वर्ष के अंदर हमने 21 लाख हेक्टेयर भूमि को अतिरिक्त सिंचाई की
सुविधा उपलब्ध कराई है। दशकों से लंबित सिंचाई परियोजनाओं को (बाणसागर, सरयू नहर,
अर्जुन सहायक आदि) समयबद्ध ढंग से पूरा करके हमने अन्नदाता किसानों के जीवन में व्यापक
परिवर्तन लाने का प्रयास किया। कह कि कोरोना के बीच 120 चीनी मिलें चलती रहीं। इन 05 वर्षों
में हमने 1 लाख 75000 करोड़ का भुगतान गन्ना किसानों की करने में सफलता प्राप्त की।
उन्होंने कहा कि आज हमारे सामने सबसे बड़ा चौलेंज है कम लागत में विषमुक्त खेती हम कैसे कर
सकते हैं। हम आभारी हैं प्रधानमंत्री जी के, जिन्होंने यूनियन बजट में इसके लिए प्रावधान किया। यह
विकल्प है ष्गौ आधारित प्राकृतिक खेतीष्। प्रधानमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश से 2020 में कहा था कि
क्या गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में हम लोग इसे बढ़ावा दे सकते हैं? औद्यानिक फसलों को, सब्जियों की
खेती को क्या हम इस रूप में आगे बढ़ा सकते हैं। उस समय हम लोगों ने गंगा यात्रा निकाली थी।
गंगा यात्रा ने अनेक स्थानों पर गंगा नर्सरी, गंगा उपवन, गंगा उद्यान आदि स्थापित करने में
सफलता प्रॉप्त की। उन्होंने कहा कि यूनियन बजट में इसका प्रावधान है कि मां गंगा के दोनों तटों के
05-05 किलोमीटर क्षेत्र में हमें प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाना है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही
इसमें सहयोग करेंगी। इसके अलावा राज्य सरकार ने बुंदेलखंड के पूरे क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को
प्रोत्साहित करने का कार्यक्रम बनाया है।