कोयले की कमी का असर अब प्रदेश की बिजली आपूर्ति पर दिखने लगा है. बिजली की आपूर्ति कम होने की वजह से जगह-जगह कटौती की जा रही है. हालात ये है कि अब तक करीब 2 हजार मेगावाट क्षमता की इकाइयों को बंद करना पड़ा है. वहीं विभागीय लोगों की माने तो अगर जल्द कोयले की कमी दूर नहीं हुई तो बिजली आपूर्ति और ज्यादा डीरेल हो जाएगी. सबसे ज्यादा कटौती ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही है.बिजली की प्रतिबंधित मांग करीब 17,000 मेगावाट के आसपास है जबकि इसके मुकाबले 15,000 मेगावाट के आसपास ही आपूर्ति हो पा रही है. यानी लगभग 1800 से 2000 मेगावाट की कमी चल रही है. हालात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 18 घंटे बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए वहां 12 से 13 घंटे के बीच ही हो पा रही है. वही तहसील क्षेत्रों के लिए साढ़े 21 घंटे की बिजली आपूर्ति होनी चाहिए, लेकिन इसमें भी सिर्फ 19 घंटे के आसपास ही आपूर्ति हो रही है. बुंदेलखंड में 20 घंटे बिजली सप्लाई मिलनी चाहिए, लेकिन वहां 17 घंटे के आस-पास ही मिल पा रही है.