पहले बुलडोजर, फिर लाउडस्पीकर विवाद और अब ईद की नमाज में यूपी ने पेश की कानून व्यवस्था की
मिसाल
रंग लाई योगी की अपील, मुस्लिम धर्मगुरु भी आए आगे, ईदगाहों में हुई नमाज़
32 हजार स्थलों पर हुई ईद की नमाज़, हर जगह शांति और सौहार्द
राम नवमी, हनुमत जयंती और अलविदा की नमाज़ के बाद ईद, अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती की
परीक्षा में पास हुई योगी सरकार
लखनऊ, 04 मई:
ईद-उल-फितर के पाक मौके पर उत्तर प्रदेश ने एक नया इतिहास रचा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के
आह्वान पर इस बार पूरे प्रदेश में कहीं भी यातायात बाधित कर सड़कों पर ईद की नमाज़ नहीं अदा की गई।
मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी सीएम के अपील का समर्थन किया था, नतीजतन, ईद की नमाज़ ईदगाह अथवा
अन्य तयशुदा पारंपरिक स्थान पर ही हुई। हापुड़ और लोनी (गाजियाबाद) सहित कई क्षेत्रों में जहां मस्जिद
और ईदगाहों में जगह कम थी वहां तो अलग-अलग शिफ्ट में लोगों ने नमाज़ पढ़ी।
पिछले वर्षों तक जहां 50 हजार से 01 लाख लोग सड़कों व अन्य स्थानों पर नमाज पढ़ते थे, वहां प्रदेश के
इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है ईद की नमाज़ सडकों पर नहीं हुई। इससे पहले, अलविदा की नमाज़ के
समय भी ऐसी ही अभूतपूर्व स्थिति देखी गई थी, जब मुख्यमंत्री की अपील पर लोगों ने मस्जिदों में ही नमाज़
अदा की थी। यही नहीं, ईद-उल-फितर, अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती के एक ही दिन होने से यूपी में
जताई जा रही विवाद की आशंका भी निर्मूल साबित हुई। लोगों ने ईदगाहों में नमाज़ पढ़ी तो परशुराम जयंती
पर विविध संगठनों ने शांतिपूर्ण आयोजन भी किए। प्रदेश के सभी 75 जिलों से हर्ष और उल्लास के साथ
त्योहार मनाए जाने की सूचना है। वहीं राजस्थान के जोधपुर सहित देश के कुछ प्रान्तों में ईद पर दो समुदायों
के बीच हिंसा व तनाव की खबरें आई हैं।